जो नहीं अपना उसको,
अपना बताना छोड़ दो !
दुनिया की बातों को,
दिल से लगाना छोड़ दो !
सुख साधन– रुपया पैसा,
पाया ना सुख–चैन जरा सा!
इनको पाने की धुन मे,
खुद को मिटाना छोड़ दो !
आये हो इस जगत में,
प्रेम की बुनियाद लिए !
नेकदिल हो तुम अगर ,
एहसान जताना छोड़ दो !
रोये क्यूँ अब सोच कर,
बीता कल जो बीत गया !
वक्त की है पुकार यही,
प्रचलन पुराना छोड़ दो !
जीवन की ढलती शामों में,
अंधियारा मन में गहराए !
कोई करें ना गर परवाह,
दुख दर्द दिखाना छोड़ दो !