शुक्रबार, कार्तिक २, २०८१
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जो नहीं अपना उसको
२८ कार्तिक २०८०
  सुनिता
जो नहीं अपना उसको, 
       अपना बताना छोड़ दो ! 
दुनिया की बातों को, 
      दिल से लगाना छोड़ दो ! 
सुख साधन– रुपया पैसा, 
    पाया ना सुख–चैन जरा सा! 
इनको पाने की धुन मे, 
   खुद को मिटाना छोड़ दो ! 
आये हो इस जगत में, 
     प्रेम की बुनियाद लिए ! 
नेकदिल हो तुम अगर , 
      एहसान जताना छोड़ दो ! 
रोये क्यूँ अब सोच कर, 
     बीता कल जो बीत गया ! 
वक्त की है पुकार यही, 
      प्रचलन पुराना छोड़ दो ! 
जीवन की ढलती शामों में, 
     अंधियारा मन में गहराए ! 
कोई करें ना गर परवाह, 
    दुख दर्द दिखाना छोड़ दो ! 
माण्डव्य हेमन्त

माण्डव्य हेमन्त 

माण्डव्य हेमन्त 

माण्डव्य हेमन्त

हेमन्त माण्डव्य

साप्ताहिक राषीफल